लेवी व्यवस्था 15
15

शारीरिक स्रावों से संबंधित विधि

 1 याहवेह ने मोशेह और अहरोन को ये आदेश दिए: 2 “इस्राएल वंशजों को यह आदेश दो, ‘यदि किसी व्यक्ति की देह से कोई स्राव हो रहा हो, वह स्राव अशुद्ध है. 3 यह उसकी अशुद्धता ही मानी जाएगी, चाहे उसकी देह से स्राव हो रहा हो अथवा स्राव रुक गया हो.

 4 “ ‘स्रावग्रस्त व्यक्ति जिस बिछौने पर विश्राम करता है, वह बिछौना अशुद्ध हो जाता है और हर एक वह वस्तु जिस पर वह बैठ जाता है, वह भी अशुद्ध हो जाती है. 5 इसके अलावा यदि कोई व्यक्ति उसके बिछौने को छू लेता है, तो वह व्यक्ति अपने वस्त्रों को धोकर स्नान करे और वह शाम तक अशुद्ध रहेगा. 6 यदि कोई व्यक्ति उस वस्तु पर बैठ जाता है जिस पर वह स्रावग्रस्त व्यक्ति बैठता रहा है, तो वह अपने वस्त्रों को धोकर स्नान करे तथा वह शाम तक अशुद्ध रहेगा.

 7 “ ‘और यदि कोई व्यक्ति उस स्रावग्रस्त व्यक्ति को छू लेता है, तो वह व्यक्ति अपने वस्त्रों को धोकर स्नान करे तथा वह शाम तक अशुद्ध रहेगा.

 8 “ ‘अथवा वह स्रावग्रस्त व्यक्ति किसी शुद्ध व्यक्ति पर थूक देता है, तो वह शुद्ध व्यक्ति भी अपने वस्त्रों को धोकर स्नान करे तथा वह शाम तक अशुद्ध रहेगा.

 9 “ ‘हर एक वह काठी, जिस पर वह सवारी करता है, वह काठी अशुद्ध हो जाती है. 10 यदि कोई व्यक्ति उन वस्तुओं में से किसी को भी छू लेता है, जो स्रावग्रस्त व्यक्ति के नीचे रही हैं, तो वह शाम तक अशुद्ध रहेगा और जो कोई व्यक्ति उनका वहन करता है, तो वह अपने वस्त्रों को धो डालें, स्नान करे तथा वह शाम तक अशुद्ध रहेगा.

 11 “ ‘इसी प्रकार स्रावग्रस्त, वह व्यक्ति अपने हाथों को बिना धोए यदि किसी व्यक्ति को छू लेता है, तो वह व्यक्ति अपने वस्त्रों को धोकर स्नान करे तथा वह शाम तक अशुद्ध रहेगा.

 12 “ ‘यदि स्रावग्रस्त व्यक्ति किसी मिट्टी के पात्र को छू लेता है, तो उस पात्र को तोड़ डाला जाए किंतु यदि पात्र लकड़ी का है, तो उसे जल में धोया जाए.

 13 “ ‘जब स्रावग्रस्त व्यक्ति अपने स्राव से शुद्ध हो जाए है, तो वह अपनी शुद्ध होने के लिए सात दिनों की गिनती कर ले; तब वह अपने वस्त्रों को धो डालें और बहते हुए जल में स्नान करे, तब वह शुद्ध हो जाएगा. 14 आठवें दिन वह अपने लिए दो कपोत अथवा कबूतर के दो बच्चे लेकर मिलनवाले तंबू के द्वार पर याहवेह के सामने आए और इन्हें पुरोहित को दे दे; 15 पुरोहित इनमें से एक को पापबलि के लिए तथा दूसरे को होम बलि के लिए भेंट करे. इस प्रकार पुरोहित उसके लिए उसके स्राव के कारण याहवेह के सामने प्रायश्चित पूरा करे.

 16 “ ‘यदि किसी व्यक्ति का वीर्य-उत्सर्जन हो गया है, तो वह स्नान के द्वारा सारे शरीर को धो डालें और वह शाम तक अशुद्ध रहेगा. 17 जहां तक वस्त्र अथवा चर्मवस्त्र का संबंध है, जिस पर वीर्य गिरा हुआ हो, उस वस्त्र को जल से धो डाला जाए तथा वह शाम तक अशुद्ध रहेगा. 18 यदि कोई पुरुष किसी स्त्री से संभोग करे और इस प्रक्रिया में उसका वीर्य-उत्सर्जन हुआ हो, तो वे दोनों स्नान करें-वे शाम तक अशुद्ध रहेंगे.

 19 “ ‘जब किसी स्त्री से स्राव हो रहा हो और यदि वह स्राव रक्त है, तो वह स्त्री अपनी ऋतुस्राव-अशुद्धता की अवधि में सात दिन के लिए होगी और जो कोई उस स्त्री को छुए, वह शाम तक अशुद्ध रहेगा.

 20 “ ‘हर एक वह वस्तु अशुद्ध होगी जिस पर वह अपने ऋतुस्राव-अशुद्धता की अवधि में लेटती है तथा वह वस्तु भी जिस पर वह बैठती है. 21 जो कोई भी उसके बिछौने को छू लेता है, वह अपने वस्त्रों को धोकर स्नान करे-वह शाम तक अशुद्ध रहेगा. 22 जो कोई उस वस्तु को छू लेता है जिस पर वह बैठती है, तो वह अपने वस्त्रों को धो डालें तथा स्नान करे-वह शाम तक अशुद्ध रहेगा. 23 चाहे यह उसका बिछौना अथवा कोई भी वह वस्तु है जिस पर वह बैठती है, यदि कोई उसको छू लेता है, तो वह शाम तक अशुद्ध रहेगा.

 24 “ ‘यदि कोई पुरुष उसके साथ वास्तव में संभोग कर लेता है और इस प्रकार उस स्त्री की ऋतुस्राव-अशुद्धता उस पुरुष पर आ जाती है, तो वह सात दिनों के लिए अशुद्ध होगा और हर एक बिछौना जिस पर वह लेटता है अशुद्ध हो जाएगा.

 25 “ ‘यदि किसी स्त्री को रक्त का स्राव उसके ऋतुस्राव-अशुद्धता की अवधि में ही नहीं बल्कि उसके अलावा भी अनेक दिनों तक होता रहे, तो वह ऋतुस्राव-अशुद्धता की अवधि के समान अपने इस अशुद्ध स्राव में भी अशुद्ध रहेगी. 26 कोई भी वह बिछौना जिस पर वह अपने स्राव के पूरे दिनों में लेटती है, वह उसके ऋतुस्राव के अशुद्ध बिछौने के समान होगा और हर एक वह वस्तु जिस पर वह बैठती है, वह उसके ऋतुस्राव के समान अशुद्ध होगी. 27 उसी प्रकार जो कोई उसको छू लेता है, वह अशुद्ध होगा और वह अपने वस्त्रों को धो डालें तथा स्नान करे-वह शाम तक अशुद्ध रहेगा.

 28 “ ‘जब वह स्त्री अपने स्राव से शुद्ध हो जाती है, तो वह अपने शुद्ध होने के लिए सात दिनों की गिनती कर ले, उसके बाद वह शुद्ध होगी 29 आठवें दिन वह अपने लिए दो कपोत अथवा दो कबूतर के बच्चे लेकर उन्हें मिलनवाले तंबू के द्वार पर पुरोहित के सामने लाए. 30 पुरोहित उनमें से एक को पापबलि तथा दूसरे को होम बलि के लिए भेंट करे. इस प्रकार उसके स्राव के कारण पुरोहित उसके लिए याहवेह के सामने शुद्ध करे.’

 31 “ ‘इस प्रकार तुम इस्राएल वंशजों को उनकी अशुद्धता से अलग रखोगे, ऐसा न हो कि वे मेरे मिलनवाले तंबू को, जो उनके बीच में हैं, अशुद्ध करें और उनकी अशुद्धता के कारण उनकी मृत्यु हो जाए.’ ”

 32 यह विधि उस व्यक्ति के लिए है, जिसका स्राव हो रहा है और जिस व्यक्ति का वीर्य-उत्सर्जन हो गया है जिससे वह अशुद्ध हो जाता है, 33 और उस स्त्री के लिए भी, जो अपनी ऋतुस्राव-अशुद्धता के कारण अस्वस्थ है, हां, उसके लिए, जिससे स्राव हो रहा हो, चाहे वह पुरुष हो अथवा स्त्री अथवा उस पुरुष के लिए भी, जो उस स्त्री से संभोग कर लेता है, जो अशुद्धता की स्थिति में है.